जमशेदपुर : टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में शीर्ष पर्वतारोही और वरिष्ठ प्रशिक्षक अस्मिता दोरजी ने 23 मई के शुरुआती घंटों में माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई पूरी की. शुरू में सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन के बिना चढ़ाई करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कारणों से उसे कैंप 4 (8000 मीटर उंचाई पर) से इसका उपयोग करना पड़ा. कम हवा, तेज हवा और अत्यधिक ठंड सहित चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के कारण कुछ लोगों ने यह उपलब्धि हासिल की है.
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तीन अप्रैल को शुरू की थी यात्रा
3 अप्रैल को अपनी यात्रा शुरू करने वाली अस्मिता खुम्बू क्षेत्र से 8 दिन की ट्रेकिंग के बाद 14 अप्रैल को एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचीं. 18 मई को अस्मिता ने अपना अंतिम शिखर अभियान शुरू किया. खतरनाक खुम्बू हिमपात को पार करते हुए वह 19 मई को कैंप 2 पर पहुंची. उन्होंने 22 मई की रात 10 बजे अपनी अंतिम शिखर यात्रा शुरू की और 23 मई को सुबह 8:20 बजे शिखर पर पहुंची. अस्मिता के साथ उनके शेरपा गाइड लक्फा नूरू भी थे. जो नेपाल के एक बहुत ही अनुभवी शेरपा गाइड हैं.
टाटा स्टील के वाइस प्रेसीडेंट ने सराहा
टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के चेयरमैन और टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (कॉरपोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने कहा कि यह अस्मिता और टीएसएएफ की पूरी टीम के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. माउंट एवरेस्ट सात दशक पहले पहली बार एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे की ओर से फतह किया गया था. यह दुनिया भर में शौकिया और पेशेवर ट्रेकर्स के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण खेल गतिविधियों में से एक बना हुआ है और शारीरिक तथा मानसिक सहनशक्ति दोनों के लिए एक अंतिम परीक्षा है. हमें अस्मिता पर बहुत गर्व है जिन्होंने पिछले साल सप्लिमेंट्री ऑक्सीजन के बिना चोटी तक पहुंचने के अपने प्रयास के दौरान सिर्फ 100 मीटर की दूरी के बाद भी हार नहीं मानी.
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