जमशेदपुर: ‘संवाद’आदिवासी समुदाय की पहचान से जुड़ा टाटा स्टील फाउंडेशन का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जो इस वर्ष अपने 9वें संस्करण में है, का आयोजन 15 नवंबर से 19 नवंबर 2022 तक जमशेदपुर के गोपाल मैदान में होगा। महामारी के वर्षों के दौरान ऑफ़लाइन आयोजित होने के बाद, संवाद 2022 में 200 जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 2000 से अधिक लोग जुटेंगे। इनमें 23 राज्यों एवं 4 केंद्र शासित प्रदेशों से 27 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) शामिल हैं। जमशेदपुर की गलियों में 15 नवंबर से 19 नवंबर 2020 तक झारखंड की 31 जनजातियों के 501 नगाड़ों की आवाज गूंजेगी।
पिछले कुछ वर्षों में संवाद एक ऐसा मंच बन गया है जहां पूरे देश के आदिवासी समुदाय आदिवासी संस्कृति का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं और तेज विकास एवं औद्योगीकरण के समय में आदिवासी समुदायों से जुड़े ढेरों मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
प्रत्येक वर्ष संवाद का एक विशिष्ट विषय होता है। यह एक ऐसा विषय होता है, जो आदिवासियों की पहचान से संबंधित कई चर्चाओं से उत्पन्न होता है। इस वर्ष का विषय “रीइमेजिन” अर्थात् पुनर्कल्पना है, जिसका उद्देश्य इस गतिशील समाज में सामाजिक परिवर्तन को सक्षम करने में आदिवासी समाज के लोगों की भूमिका के बारे में चर्चा को बढ़ावा देना और स्वयं समुदायों की आवाज़ो को सुनना है कि यह “रीइमेजिन” उनके लिए क्या है, “जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और पोषण” से प्रतिक्रियाएं, जिन्हें हम महसूस कर रहे हैं कि वर्तमान में हम जिन सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान हमारे देश और दुनिया के स्वदेशी समुदायों के पास है। इस कॉन्क्लेव (संगोष्ठी) में देश भर के उन लोगों से ढेरों बातों को सुनने और समझने को मिलेंगी, जो विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव साझा करने वाले सत्रों में शामिल होंगे, जिनका आदिवासी समाज पर प्रभाव पड़ता है और उनके विचारों से मंच भी समृद्ध होगा। हमें विश्वास है कि संवाद इस बार आदिवासी जीवन शैली तथा देश के आदिवासी विकास विमर्श में हमारी अपनी सोच को आकार देने में सहायक होगा। यह शहर अपनी स्थापना के बाद से संवाद का अद्भुत मेजबान रहा है और हमें उम्मीद है कि जमशेदपुर में इस साल भी एक शानदार अनुभव होगा।
संवाद, भारत में आदिवासीवाद पर सबसे बड़े मंचों में से एक है, जहां आदिवासी कलाकारों, बुनकरों और कारीगरों, संगीतकारों, देसी तरीके से चिकित्सा करनेवाले चिकित्सकों, घरेलू रसोइयों, विद्वानों, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों का जमघट होगा, जो संवाद में अपना योगदान देने के साथ ही आदिवासी संस्कृति का जश्न भी मनाएंगे।
संवाद 2022 में आदिवासी समदाय से पद्मश्री दुर्गाबाई व्याम और सुभाष व्याम, जपानी श्याम, डॉ सोनम वांगचुक आदि कई अग्रणी लोगों की भागीदारी होगी, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभवों को व्यक्त करेंगे, जिनका आदिवासी समुदायों को सांस्कृतिक शिक्षा पर असर पड़ेगा। ये संवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध करेंगे और संवाद मंच पर अपने अनुभवों और कहानियों को साझा करके आदिवासीवाद पर अपने विचारों को और आगे बढ़ाएंगे।
इस वर्ष संवाद 2022 में 175 से अधिक आदिवासी उपचारकर्ता शामिल होंगे, जो जनजातीय उपचार पद्धतियों के महत्व को पुन: स्थापित करने और आधुनिक संदर्भों में इन प्रथाओं को एकीकृत करने के तरीकों की खोज पर ध्यान केंद्रित करने पर अपने समृद्ध विचारों से अवसर अवगत कराएंगे।
आदिवासी कला और हस्तशिल्प में प्रदर्शनी-सह-बिक्री स्टालों के माध्यम से 41 से अधिक कला रूपों का प्रतिनिधित्व किया जाएगा, जिनमें संथाल कठपुतली, वारली कला, और बोडो बुनाई जैसे कला रूपों के जीवंत प्रदर्शन होगा। यहां आगंतुक कलाकारों के साथ से सीधे संवाद भी कर सकेंगे और समझ पाएंगे कि इन कला रूपों को कैसे बनाया जाता है। इन समुदायों के स्वादिष्ट जायके को प्रोत्साहित करने के लिए 112 घरेलू रसोइयों द्वारा तैयार 101 से अधिक आदिवासी व्यंजनों को परोसा जाएगा। जमशेदपुर के लोग जनजातीय भोजन के हिस्से के रूप में ज़ोमैटो पर “Aatithya@ Samvaad” पर ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घरों में आराम से इन व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं।
रिदम ऑफ द अर्थ, जो कि मुख्यधारा के लोगों में आदिवासी संगीत को बढ़ावा देने की एक पहल है, स्वरथमा के सहयोग से निर्मित 12 मूल ट्रैक के साथ अपना पहला पूरा एल्बम प्रदर्शित करेगा।
इन संवादात्मक सत्रों और लाइव प्रदर्शनों के साथ ही, संवाद पूरे देश में आदिवासी समुदायों से सांस्कृतिक प्रदर्शन के माध्यम से समृद्ध आदिवासी विरासत, प्रथाओं और संस्कृति को धरातल पर लाएगा।