मुसाबनी : माटीगोड़ा पंचायत के सबर जनजाति के लोगों के बीच टीबी जागरूकता अभियान चलाया गया. यह अभियान टीबी के प्रति जनजातीय समुदाय को जागरूक करने और इसके लक्षणों की पहचान, रोकथाम के उपाय, और सबसे महत्वपूर्ण, इलाज के पूर्ण कोर्स का पालन करने की आवश्यकता पर केंद्रित था. अभियान का उद्देश्य टीबी जैसी गंभीर बीमारी से बचाव और इसके इलाज के प्रति लोगों को जागरूक करना था. यह रोग विशेष रूप से सुदूर और पिछड़े क्षेत्रों में अधिक फैलता है.
गांवों में नुक्कड़ नाटक
कार्यक्रम में स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय नेताओं ने मिलकर भूमिका निभाई. जागरूकता फैलाने के लिए टीम ने विभिन्न तरीकों का उपयोग किया. नुक्कड़ नाटक, छोटे भाषण, पोस्टर और पर्चों का वितरण किया गया. इसमें टीबी के प्रमुख लक्षण जैसे लंबी खांसी, वजन कम होना, रात में पसीना आना और कमजोरी को विस्तार से समझाया गया.
संभव है टीबी का ईलाज
कार्यक्रम में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने के लिए सबर जनजाति के बीच सफलता की कहानियों को साझा किया गया. उनलोगों के अनुभव सुनाए गए. जिन्होंने समय पर टीबी का इलाज करवाया और अब पूरी तरह स्वस्थ हैं. इन कहानियों ने जनजाति के लोगों को प्रेरित किया और उनमें आत्मविश्वास जगाया कि टीबी का इलाज संभव है. बशर्ते इलाज की पूरी अवधि का पालन किया जाए.
की गई सक्रीनिंग
कार्यक्रम के दौरान टीबी की स्क्रीनिंग भी की गई. टीबी से संबंधित शैक्षिक सामग्री का वितरण भी किया गया. इसमें इलाज की प्रक्रिया और आवश्यक सावधानियों के बारे में जानकारी दी गई थी.
इनका रहा सक्रिय योगदान
जागरूकता अभियान को सफल बनाने में मुख्य टीम सदस्यों का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था. इसमें अमृतन शावू, अभिषेक कुमार, अंकिता दखणे, रोहन राय, आशुतोष कुमार शामिल थे. इन सभी ने मिलकर जनजातीय समुदाय के साथ घनिष्ठ संवाद स्थापित किया और कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराया.