जमशेदपुर : बिष्टूपुर कला मंदिर एक ऐसी संस्था है जो आदिवासियों की जीवन शैली से जुड़ी रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं और उनके सामाजिक जीवन से जुड़ी विशेषताओं को देश-दुनिया के सामने लाने के अभियान में जुटी है, लेकिन अब इस कोरोनाकाल में इस संस्था से जुड़े लोगों का भी हाल बेहाल है। कला मंदिर परिसर में बिपोनी नाम का एक काउंटर है। यह आम लोगों के लिए आदिवासियों के आभूषण, कलाकृति, रोजमर्रा के सामान, परिधान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उपयोग होने वाले सामान को बाजार उपलब्ध कराता है। इस काम से कई लोग जुड़े हुए है, खास तौर पर ट्राइबल क्षेत्र के लोग जुड़ कर इस कार्य को कर रहे है। अब
संस्था को आर्थिक तंगी के कारण इसे सुचारू रूप से संचालित करने में काफी परेशानी आ रही है। कलामंदिर के उपाध्यक्ष अमिताभ घोष की माने तो सरकार द्वारा ट्राइबल डेवलपमेंट का कार्य कोना कार्य में भी जारी रखा गया है। इससे उन्हें थोड़ी सहूलियत जरुर हुई, लेकिन बिपोनी कोरोनाकाल के दौरान पिछले 17 महीनो में मात्र दो माह ही खुल सका। इस कारण इससे जुड़कर कार्य करने वाले लोगों का वेतन तक नहीं निकल सका। बैंक का ब्याज, बिजली व इन्टरनेट का बिल का भी भुगतान भी लाखों में करना पड़ा। अमिताभ घोष ने बताया कि कोरोनाकाल के दौरान किसी भी कर्मचारियों का वेतन नहीं काटा गया। फिलहाल कई प्रतिष्ठित लोग है जो संस्था को मदद करने के लिए आगे आये है। जिले समेत राज्य के लगभग 437 कलाकार है जिनकी देख-रेख कला मंदिर करती है।