चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर प्रखंड के अत्यंत सुदूरवर्ती सारंडा के छोटानागरा जो चारों और से लौह अयस्क खदानों से घिरा हुआ है। फिर भी एक अस्पताल बनाने में लगभग पन्द्रह वर्षों का समय लगा। बड़ी मुश्किलों से अब जब बनकर तैयार हो गई तो उद्घाटन के लिए अस्पताल बाट जो रहा है। ग्रामीण टकटकी लगाए बैठे हैं।
आज है अत्यंत आवश्यक
इस समय पूरी दुनिया कोरोना के कहर से लड़ रही है। अस्पतालों में बेड की कमी या अस्पताल की दूरी के कारण लाखों लोग अपनी जान गँवा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में लोगों को समझ में नहीं आ रहा है की छोटानागरा में बनकर तैयार अस्पताल को क्यों शुरू नहीं किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात है की इस अस्पताल को डीएमएफटी फंड से दोबारा बनाया गया है। उद्घाटन से पहले अस्पताल भवन में दरारें भी उभरने लगी हैं।
स्वास्थ्य समस्या से हैं लोग परेशान
सारंडा के सुदूरवर्ती बीहड़ ईलाके में अस्पताल नहीं होने के कारण यहाँ के लोग कई तरह की स्वास्थ्य चिकित्सा समस्याओं का सामना करते हैं। एक तो यह क्षेत्र पहले से ही बहुत पिछड़ा है। दूर जाकर इलाज कराना भी इन ग्रामीणों के लिए मुमकिन नहीं है। यहां रहने वाले लोग बहुत गरीब हैं और सुविधाओं का भी घोर अभाव है। इसी कारण यहाँ लोग ख़ास खुजली, बुखार, मलेरिया और प्रसव पीड़ा आदि में ही दम तोड़ देतें हैं। अन्धविश्वास की कितनी जानें उसका तो कोई हिसाब ही नहीं है।
कई बीमारी से होतेहैं परेशान
चारों और लौह अयस्क खदान होने के कारण यहाँ हवा और पानी दूषित रहती है। जिसके कारण यहां के लोगों में टीवी, पेट की बीमारी, फेफड़ों की बीमारी, चार्म रोग, ख़ास खुजली आदि की समस्याओं से सालों भर ग्रसित रहते हैं। छोटी-छोटी बीमारी में भी समय पर सही ईलाज नहीं मिलने से लोग अकाल मौत के गाल में समा जाते हैं। ऐसे में स्थानीय लोग अस्पताल में समुचित संशाधन व डॉक्टर, चिकित्साकर्मी को बहाल कर इसे जल्द चालू करने की मांग कर रहे हैं।