रांची : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2024 के परिणामों में एक बार फिर झारखंड के युवाओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर राज्य का नाम रोशन किया है. इस परीक्षा में झारखंड से दर्जनभर से अधिक अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल की है. इनमें से कई साधारण परिवारों से आते हैं, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपनी मेहनत से मिसाल कायम की है.
रांची की रहने वाली संस्कृति त्रिवेदी ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा में ऑल इंडिया 17वीं रैंक प्राप्त कर राज्य के लिए गौरव का क्षण प्रदान किया है. जेवीएम श्यामली स्कूल से नर्सरी से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त करने वाली संस्कृति मूल रूप से बिहार के जमुई की निवासी हैं. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज से स्नातक और जेएनयू से परास्नातक किया है. वर्तमान में वह इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विस में हैं और शिमला में प्रशिक्षणरत हैं। उनके पिता पूर्व में रांची मेकॉन में कार्यरत थे.
सौरभ सिन्हा को मिला 49वां स्थान
दुमका के अधिवक्ता संघ में कार्यरत प्रियव्रत सिन्हा के बेटे सौरभ सिन्हा ने इस परीक्षा में 49वीं रैंक प्राप्त कर जिले का नाम रौशन किया है. रसिकपुर निवासी सौरभ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रीन माउंट स्कूल, दुमका से पूरी की और इसके बाद आईआईटी खड़गपुर से बीटेक किया. IIT के बाद वह FITJEE रांची में कार्यरत रहे. वह दो भाईयों में सबसे बड़ा है.
जमशेदपुर के लोयोला स्कूल के पूर्व छात्र ऋत्विक वर्मा ने UPSC परीक्षा में 115वीं रैंक प्राप्त की है. ऋत्विक ने दिल्ली विश्वविद्यालय से भूगोल में स्नातक किया और वहीं से परीक्षा की तैयारी की. उनके इस प्रदर्शन ने जमशेदपुर समेत पूरे राज्य को गर्व का अवसर दिया है.
विद्यांशु झा और शुभम कुमार भी हुए सफल
रांची के दीपाटोली निवासी विद्यांशु झा को इस परीक्षा में 59वीं रैंक प्राप्त हुई है. मूल रूप से बिहार के रहने वाले विद्यांशु ने डीएवी बरियातू से स्कूली शिक्षा प्राप्त की. वहीं रांची के कचहरी रोड निवासी शुभम कुमार ने 678वीं रैंक प्राप्त कर परीक्षा में सफलता पाई है.
इस बार की परीक्षा में कई ऐसे छात्र भी सफल हुए हैं जो बेहद साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं. गढ़वा की किसान परिवार की बेटी छाया कुमारी और बोकारो के समाचार पत्र वितरक के पुत्र राजकुमार महतो ने सफलता प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि लगन और मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. इन सफलताओं के बाद न सिर्फ परीक्षार्थियों के परिवारों में बल्कि पूरे राज्य में खुशी की लहर है. ये युवा न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे झारखंड के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.