Raj Kishor
Jamshedpur : लौहनगरी जमशेदपुर में नशे के सेवन का प्रचलन बेहद तेजी से बढ़ रहा है. एक आकलन के मुताबिक मात्र पांच साल में नशे के सेवन की रफ्तार दस गुना तक बढ़ गयी है. इसके तहत पांच वर्ष पहले जहां एक साल में नशे के सेवन के आदि करीब दस से बारह लोग अस्पताल में इलाज कराने पहुंचते थे, फिलहाल करीब इतने ही लोग महीने भर में इलाज कराने पहुंच रहे हैं. इससे समझा जा सकता है कि आनेवाले दिनो में नशे के बढ़ते प्रचलन पर रोक नहीं लगाई गई तो स्थिति क्या हो सकती है. इसमें भी चिंता कि बात यह है कि नशे के सेवन के शिकार ज्यादातर 17 से लेकर 25 वर्ष के आयुवर्ग, यानि किशोर और युवा हो रहे हैं. यहां बात सिर्फ लौहनगरी जमशेदपुर की ही नहीं हो रही है, बल्कि पड़ोसी सरायकेला-खरसावां के आदित्यपुर क्षेत्र समेत आस-पास के क्षेत्रों की स्थिति भी बेहद ही दयनीय है. खासकर, आदित्यपुर तो ब्राउन शुगर समेत अन्य नशीले पदार्थों के अवैध धंधे के हब के रूप में तो विख्यात है ही.
ब्राउन शुगर, डेंड्राइट व इन्हेलेंट के ज्यादा हैं शिकार
नशे का सेवन करनेवाले ज्यादातर ब्राउन शुगर के अलावा डेंड्राइट और इन्हेलेंट लेने के आदी हैं. इनमें से कईयों के घरवाले उन्हें इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले आते हैं, जबकि कुछ मामलो में नशे का शिकार खुद ही डॉक्टर के पास तब पहुंचता है जब उसे लगता है कि उसकी लत बहुत बढ़ गयी है, लेकिन पैसे की कमी की वजह से वह अपने नशे की तलब की पूर्ति नहीं कर पाता है. इनका मकसद इलाज कराकर पूरी तरह से ठीक होने के बजाय अपने नशे की लत को कम करना होता है. ऐसी मंशा रखनेवालों की पहचान तब होती है जब वे एक- -दो बार डॉक्टर से दिखाने के बाद फिर आगे के इलाज के लिए अस्पताल नहीं आते हैं. इस स्थिति को और भी खतरनाक माना जा रहा है.
युवाओं को सावधान रहने की जरूरत
विशेषज्ञों की मानें तो युवा वर्ग के नशे की गिरफ्त में आने की खास वजहो में उनका नशे के प्रति शौक बढ़ने के अलावा कुछ नया करने और रिस्क लेने की उत्सुकता और दोस्तों के दबाव आना सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. इससे बचने के लिए सबसे पहले गलत लोगों की संगत से बचना जरुरी है. कई मामलो में ऐसा भी देखा गया है कि कोई अपने खुद के नशे की लत की पूर्ति के लिए कुछ नये लोगों को नशे की लत लगाकर उसे फांसता है, ताकि वह उसकी नशे की त को भी पूरा करे. ऐसे मामले में युवाओं को खुद से सावधान रहने की जरुरत है.
समाज को नजरिया बदलने की जरूरत : डॉ संजय अग्रवाल
शहर के जाने-माने मनोचिकित्सक और टीएमएच में मनोचिकित्सा विभाग में लंबे समय तक सेवा दे चुके डॉ संजय अग्रवाल का कहना है कि नशे के शिकार लोगों के प्रति समाज में नजरिया बदलने की भी जरुरत है. ऐसे लोगों को दोषी के रुप में नहीं देखकर पीड़ित के रुप में देखना चाहिए. उन्होंने अभिभावकों से बच्चों की गतिविधियों पर बारीक नजर रखने के साथ मौजूदा परिस्थिति में नशे के प्रति सामाजिक जागरुकता की जरुरत पर भी बल दिया. ताकि बच्चों और युवाओं को नशे की दलदल में फंसने से रोका जा सके.
व्यापक स्तर पर जागरुकता अभियान चलाना जरूरी
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि मौजूदा परिस्थिति में नशे के कुप्रभाव को लेकर व्यापक स्तर पर जागरुकता चलाने की सबसे ज्यादा जरुरत है. यहां मसला नशे के अवैध कारोबार का नहीं है, उसके खिलाफ तो पुलिस कार्रवाई कर ही रही है. जरूरत है अभिभावकों और समाज के लोगों को बच्चों और युवाओं के प्रति सचेत रहने की. कहीं वे गलत रास्ते पर तो नहीं जा रहे हैं? ऐसा है तो उनका भटकाव कैसे रोका जाय ? इसे लेकर सचेत रहकर और दूसरों को सचेत करके ही नशे के प्रति बच्चों युवाओं के बढ़ते रुझान को रोका जा सकता है. इसके अलावा प्रशासन भी नशे के खिलाफ जागरुकता अभियान चला रहा है. इस अभियान में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी बढ़ाकर इसे व्यापक रुप दिया जा सकता है.
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