नई दिल्ली : नये संसद भवन का उद्घाटन समारोह 28 मई को सुनिश्चित किया गया है. इसके पहले ही इसके उद्घाटन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गयी थी. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवायी की. इस दौरान दाखिल याचिका को ही सुप्रीप कोर्ट की ओर से खारिज कर दिया गया है. इस मामले में सुनवायी करने से कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया और कहा कि कोर्ट को पता है कि इस तरह का याचिका क्यों दायर की गयी है.
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क्या था दायर याचिका में
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सीआर जया सुकीन ने दाखिल की थी. दायर याचिका में कहा गया था कि समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया है. ऐसा करके संविधान का सम्मान तक नहीं किया जा रहा है. संसद को भंग करने का अधिकार भी राष्ट्रपति को ही है. ऐसे में संसद के नये भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ही कराया जाना चाहिये. लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासिचव का उद्घाटन समारोह का जारी किया गया आमंत्रण देश के संविधान का उल्लंघन करने के बराबर है. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति को आमंत्रण नहीं देना उनका अपमान है.
याचिकाकर्ता को खरी-खरी
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से याचिकाकर्ता को ही खरी-खरी सुनायी गयी है. साथ ही कहा गया है कि इस तरह की याचिका और किसी भी कोर्ट में स्वीकार नहीं किया जायेगा. ऐसा करने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ ही कोर्ट की ओर से जुर्माना लगाने का काम किया जा सकता है. इस बार चेतावनी देकर छोड़ा जा रहा है. इधर उद्घाटन समारोह का 21 दलों ने खुलकर विरोध कर दिया है. इसमें 24 दलों के शामिल होने की उम्मीद है. इसमें भाजपा के साथ सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और गैर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधनों के भी शामिल होने की उम्मीद जतायी जा रही है.
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