पोटका : पोटका में बुरुसाई गांव है जहां पर सड़क तक नहीं पहुंची है. सड़क के अभाव में गांव के युवाओं की शादी नहीं हो रही है. जमशेदपुर जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में तथा प्रखंड कार्यालय से 50 किलोमीटर दूर स्थित है नारदा पंचायत. ढेगाम चौक 78 साल भी बाद भी आज आधा दर्जन से ज्यादा गांव जंगल किनारे बसा है. यहां मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंची है. गांव तक पहुंचाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. गांव तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है. ग्रामीण गर्भवती माता हो चाहे बीमार व्यक्ति उसे खटिया के सहारे 2 किलोमीटर दूर ढेगाम चौक लेकर जाते हैं. इसके बाद एंबुलेंस पर चढ़कर उसे अस्पताल लेकर जाते हैं.
बुजुर्ग ने तोड़ दिया था दम
पिछले दिनों 72 वर्षीय बुजुर्ग लोसरो लोहार को खटिया में ले जाने के क्रम में रास्ते में ही दम तोड़ दिया था. सड़क होती तो एंबुलेंस गांव तक पहुंचता. बुजुर्ग की जान बच सकती थी. बुरूसाई के युवा दिनेश सरदार ने कहा कि गांव में मेहमान नहीं आते. यदि कहीं रिश्ता करने के लिए हमसब जाते हैं तो गांव तक पहुंचाने के लिए सड़क नहीं है. कहकर रिश्ता नहीं होता. मजाक उड़ाया जाता है. इसको लेकर युवाओं की उम्र बढ़ती जा रही है. कुछ युवा तो लव मैरिज करके किसी तरह परिवार बसाए हुए हैं. गांव के सुशील सरदार, जगदीश सरदार, राही लोहार, राजेश सरदार, आनंद जय सरदार ने कहा कि बदहाल जिंदगी जी रहे हैं.
कोरड़ कोचा और मररुद कोचा में भी सड़क नहीं
गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. ढेगाम चौक से बुरुसाईं होते हुए कोरड़ कोचा, मरुद कोचा तक चार किलोमीटर सड़क पूरी तरह से बदहाल है. ग्रामीण सड़क अबतक मुख्य सड़क से नहीं जुड़ पाई है. इस कारण गांव का विकास आजादी के बाद भी नहीं हो पाया है. रास्ता ऐसा कि जहां बाइक भी नहीं चल पाती है. यह सड़क ओडिशा और डुमरिया प्रखंड को भी जोड़ती है.
मेहमान दो किलोमीटर दूर वाहन लगाकर जाते हैं पैदल
यदि मेहमान आते हैं तो 2 किलोमीटर पीछे चौक पर वाहन खड़ी कर पैदल जाते हैं. लोगों को शर्म आती है. ग्रामीण जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारीयों को लिखकर थक चुके हैं. इसलिए नाराज ग्रामीणों ने खराब सड़क पर रैली निकाल कर जोरदार प्रदर्शन करते हुए गांव की विकास की मांग की है.