जमशेदपुर : जमशेदपुर शहर के बीचो बीच दो दशक से से बंद पड़े केबुल कंपनी को दिवालिया घोषित करने का आदेश को एनसीएलटी दिल्ली के द्वारा रद्द कर दिया गया। एनसीएलटी कोलकाता को कंपनी रिभाइवल के लिए प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है। इंकैब इंडस्ट्रीज कंपनी मामले में शुक्रवार को एनसीएलएटी यानि नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने रद्द करते हुए एनसीएलटी कोलकाता को कंपनी चलाने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है। 7 दिनों के भीतर नया रेजोल्यूशन प्रोफेशनल बहाल करने और पुराने रेजोल्यूशन प्रोफेशनल का सारा प्रभार उसे देने को कहा है। इधर एनसीएलएटी के इस निर्णय के बाद जमशेदपुर के केबुल कर्मियों में उम्मीद की किरण एक बार फिर से नजर आने लगी है। लगभग 20 साल से देश भर में फैले इंकैब इंडस्ट्रीज के सभी यूनिट बंद पड़े हैं। कंपनी बंद होने के कारण देशभर के मजदूर भुखमरी के दौर से गुजर रहे हैं। किसी जमाने में इंकैब इंडस्ट्रीज की तूती बोलती थी। लेकिन आज यहां के मजदूर फटेहाल जीवन जीने को विवश हैं, और कानूनी झंझावतों को झेलते- झेलते कई मजदूर जान गवा चुके हैं। कई मजदूर रिटायर कर चुके हैं, और जो बचे हैं वे सरकार, कोर्ट और भगवान भरोसे अपने जीवन की बिता रहे हैं। वैसे एनसीएलटी दिल्ली के फैसले के बाद मजदूरों के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा रही है। इस संबंध में जानकारी देते हुए ट्रेड यूनियन के जनरल सेक्रेटरी यूके शर्मा ने बताया 4 जून को एनसीएलटी दिल्ली के द्वारा केबल कंपनी के बारे जो आदेश दिया गया है वह सराहनीय है। इससे मजदूरों को फायदा होगा। केबुल कंपनी अगर चालू हो जाता है इससे कंपनी का कर्मचारी बरकरार रहेगा। अस्थाई कर्मचारियों से जुड़े लोगों को भविष्य में आर्थिक सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कंपनी चलने से कंपनी से जुड़े परिवार के लोग काम कर पाएंगे। जमशेदपुर के लोकेशन में जुड़े लाभान्वित होंगे। इससे केबुल कंपनी का अस्तित्व बचा रहेगा। बचे मजदूरों को उनका हक मिल सकेगा। उन्होंने बताया जमशेदपुर के मजदूरों को साल 2000 से वेतन नहीं मिला है, जबकि कोलकाता के मजदूरों को 2018 तक और पुणे के मजदूरों को 2006 तक वेतन मिला है।वैसे उन्होंने साफ कर दिया है अगर सही प्रमोटर सामने आते हैं तो सभी मजदूर उनका सहयोग करेंगे। लेकिन सही प्रमोटर सामने नहीं आते हैं तो मजदूर एक सोसाइटी बनाकर बंद पड़े केबुल कंपनी को फिर से खुलवाने का प्रयास करेंगे।