JHARKHAND POLITICS :ऐसा पहली बार हुआ है जब झारखंड कांग्रेस का संसद में प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं है. कांग्रेस का प्रतिनिधित्व न तो कोई राज्यसभा में कर सकता है और ही विधानसभा में. कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी झारखंड में संसद प्रतिनिधित्व को लेकर चारो खाने चित हो गई है.
गठबंधन के हिसाब से राज्यसभा सांसद धीरज साहू थे, लेकिन उनका समय पूरा होने के बाद कांग्रेस पार्टी से ही किसी को राज्यसभा सांसद के लिए मौका मिलना चाहिए था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. झामुमो की ओर से सरफराज अहमद को मौका दिया गया और वे निर्विरोध चुने भी गए.
गीता कोड़ा दे गई बड़ा झटका
2019 के चुनाव में गीता कोड़ा को कांग्रेस पार्टी से ही मौका मिला था और उन्होंने परचम भी लहराया था. अब वह भाजपा का दामन थाम चुकी हैं और सिंहभूम सीट से चुनाव भी लड़ रही हैं.
झारखंड में भी कांग्रेस पर भारी है झामुमो
झामुमो की बात करें तो झारखंड में कांग्रेस से भारी है. कांग्रेस के पास मात्र 17 विधायक हैं जबकि झामुमो के पास 29 है. महागठबंधन विधायक दल की बैठक में कांग्रेस की ओर से भी अपनी दावेदारी जताई गई थी, लेकिन उसका प्रभाव नहीं पड़ा. झामुमो ने उसे ठुकरा दिया था.
झामुमो अपने शर्तों पर झारखंड में लेती है निर्णय
झामुमो की बात करें तो भले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन है, लेकिन झामुमो अपनी शर्तों पर ही किसी तरह का निर्णय लेती है. अभी तक लोकसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग के मुद्दे पर भी पेंच फंसा हुआ है. झामुमो 6 सीट चाह रही है, लेकिन कांग्रेस पार्टी मात्र 5 ही देने को राजी है.
झामुमो से गठबंधन कांग्रेस के लिए है मजबूरी
कांग्रेस की बात करें तो झारखंड में झामुमो के साथ गठबंधन करना मजबूरी है. बिना गठबंधन के कांग्रेस पार्टी झारखंड में कुछ भी नहीं कर सकती है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की एक नहीं चल रही है.