पूर्वी सिंहभूम : एक और जहां सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क का जाल बिछाकर मुख्य सड़क से जोड़ने की तैयारी वर्षों से चल रही है वहीं आजादी के 77 साल बाद भी बिंगबुरू गांव में विकास की किरणें आज तक नहीं पहुंच पाई है. ग्रामीण राजाबासा, डांगराडीह, बिंगबुरू होते हुए मर्चागोड़ा तक 3. 5 किलोमीटर सड़क की निर्माण की मांग को लेकर वर्षों से आंदोलन करते आ रहे हैं.
यह सड़क कुदादा-पोटका रोड को जोड़ती है. इस सड़क से जमशेदपुर का आवागमन आसपास के गांव के लिए काफी सुगम और सरल बनाता है. इस पगडंडीनुमा रास्ता निर्माण की बाट जोह रहा है. ग्रामीण कई बार आंदोलन कर चुके हैं. मगर इस ओर किसी भी जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी का ध्यान नहीं गया. इस गांव में (बिंगबुरु गांव) मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का बचपन बीता है.
मौसी के घर में ही ली थी प्रारंभिक शिक्षा
ग्राम प्रधान कृष्णा बास्के कहते हैं कि मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन इसी गांव में रहकर अपने मौसी के घर से प्रारंभिक पढ़ाई की थी. आज इस गांव को देखने वाला कोई नहीं है. सड़क निर्माण को लेकर जद्दोजहद कर रहे हैं. ग्राम प्रधान की ओर से पूर्व जिला परिषद करुणामय मंडल को इसकी सूचना दी गई. करुणामय मंडल ने ग्रामीणों संग सड़क का मुआयना किया गया. सड़क काफी जर्जर अवस्था में है. बारिश के दिनों में इस सड़क पर चलना भी मुश्किल हो जाता है.
बीडीओ ने कहा करेंगे पहल
इस संबंध में ग्रामीणों ने पोटका बीडीओ अभय कुमार द्विवेदी को भी सूचना दी गई. बीडीओ ने भी इस सड़क के निर्माण को लेकर पहल करने की बात कही. ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में इस सड़क के निर्माण को लेकर सिर्फ आश्वासन मिलता है.
सैकड़ों मजदूर भी करते हैं आवागमन
गांव के शिवचरण बास्के, मुनीराम बास्के, लक्ष्मण बास्के, शंकर बास्के, पवन हांसदा ने कहा कि एंबुलेंस भी गांव तक नहीं पहुंच पाती है. इसी रास्ते से टाटा कंपनी में काम करने रोज सैकड़ों मजदूर आना-जाना करते हैं. स्कूल जाने के लिए भी बच्चे इस रास्ते का प्रयोग करते हैं. बारिश के दिनों में यह सड़क दयनीय हो जाती है.
सीएम से मिलेंगे ग्रामीण
सड़क की मांग को लेकर गांव के लोगों ने सीएम चंपाई सोरेन से मिलने की भी योजना बनाई है. गांव के लोगों को उम्मीद है कि सीएम बनने के बाद चंपाई सोरेन अपने मौसी बाड़ी की सड़क को बनवाने का रास्ता साफ करेंगे. पूर्व में गांव के लोगों ने इस सड़क को खुद ही श्रमदान कर बनाया था.