चक्रधरपुर : विधानसभा चुनाव को लेकर पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद चक्रधरपुर में विधानसभा में 14 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन किया है. इन सबके बीच सबकी निगाहें केवल तीन ही प्रत्याशियों पर मुख्य तौर पर टिकी हुई है. इसमें से पहले नंबर पर हैं मौजूदा झामुमो विधायक सुखराम उरांव जो खुद झामुमो के ही टिकट पर चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में खड़े हैं. दूसरे नंबर पर हैं भाजपा के प्रत्याशी पूर्व विधायक शशिभूषण सामड. तीसरे नंबर पर हैं निर्दलीय प्रत्याशी विजय सिंह गागराई.
एक माह पूर्व ही हुए थे झामुमो में शामिल
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इस बार चक्रधरपुर विधानसभा में मुकाबला त्रिकोणीय होगा. इसमें झामुमो और भाजपा के बीच मुकाबला तो होगा ही लेकिन इन दोनों का खेल बिगड़ने का काम विजय सिंह गागराई जोर-शोर से करेंगे. ऐसा भी संभव है की दोनों की लड़ाई में विजय गागराई को भी लाभ मिल जाये और वे जीत के करीब पहुंच जाएं. खास बात यह है की तीन सालों से चक्रधरपुर में समाजसेवा कर रहे विजय सिंह गागराई पिछले महीने ही झामुमो में शामिल हुए थे. यही नहीं उन्होंने चक्रधरपुर से चुनाव लड़ने के लिए झामुमो से टिकट की भी मांग की थी.
विजय सिंह ने भी की थी दावेदारी
इसके लिए उन्होंने बकायदे 51 हजार रुपये की पर्ची भी कटाई थी. लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसके बाद विजय सिंह गागराई निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना परचा दाखिल किया. जानकार बताते हैं की विजय सिंह गागराई के मैदान में उतरने से इसका सबसे ज्यादा नुकसान मौजूदा विधायक सुखराम उरांव को उठाना होगा. विजय सिंह गागराई ज्यादातर सुखराम उरांव का ही वोट काटेंगे.
आपस में ही सिर फुटव्वल
वहीं दूसरी तरफ शशिभूषण सामड को विजय सिंह गागराई के चुनाव मैदान में रहने से लाभ मिलता हुआ नजर आ रहा है. भाजपा का कहना है की झामुमो में प्रत्याशी को लेकर आपस में ही सिर फुटव्वल जैसी स्थिति है. झामुमो से जुड़े दो नहीं बल्कि और भी कई नेता हैं जो कि निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इसका नुकसान भी झामुमो प्रत्याशी सुखराम को होता हुआ नजर आ रहा है. जानकारी यह भी मिली है की झामुमो का शीर्ष नेतृत्व इन झामुमो के उन नेताओं पर भी है जो पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. उनपर कार्रवाई की भी तैयारी है. लोगों का कहना है की आनेवाले समय में कई लोग चुनाव मैदान से अपना पैर पीछे भी खींच सकते हैं. ताकि चुनाव जीतने के लिए पार्टी प्रत्याशी की मजबूती बन सके. अब देखना दिलचस्प होगा की कौन अपना नाम इस चुनाव मैदान से वापस लेता है. सभी की निगाहें इसी पर टिकी हुई है.