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हर इंसान के जीवन में अच्छा और बुरा दोनों समय आता है। लेकिन जीवन का मोल तब है, जब अच्छे समय में इंसान बहुत अधिक खुश न हो और बुरे समय में निराश न हो। जिसने यह जान लिया कि समय का पहिया सतत रूप से घूमता है, जिसके पाटों पर अच्छा और बुरा दौर आता-जाता रहता है, सही मायनों में उसे जीना आ गया। ठीक ऐसा ही समय एक बार मशहूर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के जीवन में भी आया। उनके जीवन में आए इस दौर को सरदाना इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक, ललित सरदाना ने बड़ी ही शालीनता से अपने शब्दों में बयां किया है। सरदाना सर पिछले 26 वर्षों से फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथमेटिक्स तीनों ही विषय पढ़ा रहे हैं तथा भारत में सर्वाधिक सिलेक्शन अनुपात दे रहे हैं और स्वयं आईआईटी में ऑल इंडिया 243 वीं रैंक लगाने वाले और सरदाना इंटरनेशनल स्कूल के संचालक ललित सरदाना सर के स्कूल में पूरे भारत से विद्यार्थी पढ़ने आते हैं।
मशहूर शिक्षक ललित सरदाना महेंद्र सिंह धोनी के जीवन में आए एक बुरे दौर को मोरल स्टोरी बताते हुए कहते हैं कि आज जिस धोनी को लोग असीम प्यार देते हैं, उनकी कैप्टेन्सी के दौरान एक समय ऐसा भी आया, जब भारत की टीम बड़े-बड़े मैचेस को बहुत बुरी तरह से हार रही थी। इस दौरान न सिर्फ धोनी, बल्कि पूरी टीम को लेकर जन आक्रोश बहुत ज्यादा था। आलम यह था कि इन क्रिकेटर्स के घर पर पत्थर फेंकने, उनके पोस्टर्स फाड़ने और कालिख पोतने और उनके पुतले जलाने की घटना भी सामने आई।
प्रेशर से कैसे उबरा जाए?
सरदाना सर के अनुसार, जीवन में कई दफा न होते हुए भी गलत परिस्थितियाँ हमें गैर-जिम्मेदार ठहरा जाती हैं। इसकी वजह से हमारे पद छोड़ने तक की नौबत आ जाती है। लेकिन यही वह बिंदु है, जहाँ हमें डगमगाना नहीं है। इस बिंदु पर डगमगाना हार निश्चित करेगा और अडिग रहना, बेशक जीत। एक समय ऐसा भी आया, जब धोनी पर कैप्टेन्सी छोड़ने का बहुत अधिक प्रेशर आ गया। एक दफा एक रिपोर्टर ने इस बारे में धोनी से प्रश्न किया, जिसके उत्तर में धोनी ने जो उत्तर दिया, वह वास्तव में उन्हें एक श्रेष्ठ कैप्टन साबित करने के लिए काफी है। उन्होंने कहा, “मेरे लिए सबसे आसान काम होगा कैप्टेन्सी से खुद को बाहर कर लेना, लेकिन मेरे लिए जिम्मेदारी सबसे बड़ी है। बुराई पर ध्यान देने के बजाए मेरी जिम्मेदारी यह बनती है कि इस समय मैं अपनी टीम के मोरल को ऊँचा करूँ और आने वाले सभी मैचेस के साथ ही बड़ी-बड़ी श्रृंखलाओं को भी भारत के खाते में लाऊँ।”
जो यहाँ नहीं रुके, तो फिर कहीं नहीं रुकना पड़ेगा
सरदाना सर कहते हैं कि इस परिस्थिति से निपटना आ गया, और राह में आते अवरोधों को दरकिनार करते हुए आगे को बढ़ते चले, तो जीवन में फिर कहीं नहीं रुकना पड़ेगा। विशेष बात यह है कि जो धोनी ने कहा, ठीक वही हुआ। आगे चलकर छवि की कैप्टेन्सी में बड़े-बड़े कप हम अपने खाते में लाए और इसीलिए हम धोनी को सबसे सफलतम कैप्टन के रूप में जानते हैं।
इससे यह सीख मिलती है कि हमारे जीवन में ऐसे बहुत से अवसर आते हैं, जब हमें निराशा का सामना करना पड़ता है, और हमसे गीव अप करने की उम्मीद की जाती है। वास्तव में यही परीक्षा की घड़ी है। यदि इस समय हम अपने काम में मन लगाए रहें और अपने मोरल को ऊँचा रखें, तो निश्चित रूप से सफलता हमारी होगी।