UTTARAKHAND NEWS : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 17 दिनों पूर्व हुए टनल हादसा में अमेरिकी तकनीक नहीं बल्कि भारतीय तकनीक ही काम आई और 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. टनल में झारखंड, बिहार, उत्तराखंड, ओड़िशा समेत देश के कई राज्यों के मजदूर काम कर रहे थे.
अमेरिका से मंगाए गए ऑगर ड्रलिंग मशीन ने अपना काम ठीक ही कर रहा था कि अचानक से सरिया का गुच्छा मिल गया. इससे मशीन का पंखा टूट गया. उसे दोबारा ठीक किया, लेकिन फिर टूट गया.
रैट माइनिंग हुआ कारगर साबित
अमेरिकी तकनीक जब काम नहीं आई तब रैट माइनिंग कारगर साबित हुआ. रैट माइनिंग की बात करें तो इसपर 2014 में ही प्रतिबंध लगा दिया गया था. एनजीटी का कहना था कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. लोगों को भी खतरे में डालता है.
पूरे देश की थी श्रमिकों पर नजर
41 दिनों तक फंसे मजदूरों ने कैसे 17 दिन और रात बिताए इसका महज अंदाजा लगाया जा सकता है. जब उन्हें बारी-बारी से बाहर निकाला गया तब उनके चेहरे खिल गए. इसके साथ ही पूरे देश के लोगों के भी चेहरे खिल गए. जिस गांव के श्रमिक थे उस गांव के लोग भी जश्न मनाने लगे.