सरायकेला : जिले के दलमा अभयारण्य अंतर्गत दलमा वन क्षेत्र में आदिम जनजाति द्वारा प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले शिकार पर्व विशु से जंगली जानवरों के बचाव एवं संरक्षण को लेकर वन विभाग द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में दलमा वन्य प्राणी संग्रहालय में वन विभाग के आला अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ बैठक की. इस वर्ष 20 मई को शिकार पर मनाया जाना है.
बैठक में वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक पदाधिकारी एसआर नोटेश, दलमा रेंज डीएफओ डॉ अभिषेक कुमार, वन क्षेत्र पदाधिकारी दिनेश चन्द्रा, चाकुलिया वन क्षेत्र पदाधिकारी अर्पणा चंद्रा मौजूद थी. बैठक में बड़ी संख्या में दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य से सटे 85 गांव के ग्रामीणों एवं वन समितियों को भी आमंत्रित किया गया था.
सांकेतिक तौर पर करें पूजा
मुख्य वन संरक्षक पदाधिकारी एसआर नोटेश ने कहा कि वे शिकार पर्व जरूर मनाएं लेकिन सांकेतिक तौर पर जंगल पहुंचकर पूजा-अर्चना करें. पशुओं का शिकार नहीं करें. वन विभाग पशु शिकार रोकने के लिए पहरा लगाएगा. मौके पर डीएफओ डॉ अभिषेक कुमार ने बताया कि कृषि कार्य के लिए जंगल और वन का होना आवश्यक है. जंगल में पशुओं के मल आदि बारिश में बहकर खेत-खलिहान तक पहुंचाते हैं जो प्राकृतिक रूप से खाद यूरिया का काम करते हैं. ऐसे में वन के साथ पशुओं का होना भी अति आवश्यक है.
ग्रामीणों से मांगा सहयोग
दलमा वन क्षेत्र पदाधिकारी दिनेश चन्द्रा ने कहा कि वन समिति के लोगों में जागरूकता आयी है. शिकार पर्व में भी कमी आ रही है. ग्रामीणों से अपील की कि वे शिकार पर्व में पहरेदारी कर पशु शिकार रोकथाम में विभाग को सहयोग करें.