मणिपुर : मणिपुर में 14 जून को हुई हिंसा के ठीक 10 दिनों के बाद शनिवार को राज्य सरकार के मंत्री एल सुसींद्रो के गोदाम को फूंक दिया गया है. घटना के बाद पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन एक नहीं चल रही है. घटना के बाद पहले से भी ज्यादा की संख्या में फोर्स को उतार दिया गया है. हर हाल में पुलिस बेकाबू लोगों को काबू में करने की कोशिश पुलिस बल कर रही है.
एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार एसटी का दर्जा देने की मांग पर सड़क पर उतरी भीड़ ने मंत्री एल सुसींद्रो के इंफाल पूर्वी जिले के चिनगारेल के गोदाम को फूंका है. इसके ठीक एक दिन पहले शुक्रवार की देर रात भीड़ ने मंत्री के खुरई इलाके में स्थित आवास को भी फूंकने का प्रयास किया था. घटना के समय पुलिस बल ने भीड़ को किसी तरह से रोक लिया था.
14 जून को जलाया था महिला मंत्री का आवास
भीड़ ने 14 जून की रात को राज्य क महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम जिले के लामफेल के आवास को जला दिया था. ठीक इसके बाद 15 जून को केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह पर भी हमला किया था और जलाने की कोशिश की गयी थी.
मणिपुर में आखिर क्यों लगी हुई है आग
मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों में हुये जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई थी. मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी 53 प्रतिशत है. जिसमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जबकि नगा और कुकी जनजातियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और यह ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहती है. मेइती समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग पर यह हिंसा अबतक जारी है.