जमशेदपुर : देश के पूर्वी राज्यों के आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी जोतों वाले और सीमांत कृषक परिवारों की आजीविका में सुधार के लिए, वॉलमार्ट फाउंडेशन और प्रदान ने आज ‘ प्रॉफिट ’ प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है। प्रॉफिट (प्रॉएस ऑफ ऑर्गेनाइज़्ड रिसोर्सेज़ एंड विमेन फार्मर्स फॉर ट्रांसफॉर्मिंग’) यानि कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का कायाकल्प करने की पहल जो अगले 30 माह के दौरान महिलाओं के नेतृत्व वाले 60 कृषक उत्पादक संगठनों की सहायता के लिए शुरू की गई है।
वॉलमार्ट फाउंडेशन से 2 मिलियन डॉलर का अनुदान जारी:
इस प्रोजेक्ट के लिए वॉलमार्ट फाउंडेशन से 2 मिलियन डॉलर का अनुदान जारी किया गया है और इसका लक्ष्य करीब 120,000 महिलाओं के लिए व्यवहार्य लघुधारक कारोबारों का सृजन करना है जिनकी सालाना संचयी टर्नओवर 32 मिलियन डॉलर होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत्, कृषक उत्पादक संगठनों को बिज़नेस प्लान तैयार करने और उनके लिए जरूरी प्रणाालियों एवं प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देने के अलावा अपने उपक्रमों के लिए प्रशासनिक इंतज़ाम करने होंगे। साथ ही, उन्हें विभिन्न सर्विस पार्टनर्स तथा अन्य सहायता के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य सरकारों के संबंधित कार्यक्रमों से जोड़कर टैक्नोलॉजी एवं फाइनेंशियल सपोर्ट भी मिलेगा। मसलन, भारत सरकार की योजना ‘10,000 कृषक उत्पादक संगठनों का गठन एवं संवर्धन’ के तहत्, इस प्रोजेकट के 29 एफपीओ को बेहतर टैक्नोलॉजी, क्रेडिट, बेहतर इनपुट और अन्य कई बाजारों तक पहुंच की सुविधा मिलेगी ताकि वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के अलावा उनसे बेहतर मोल भी प्राप्त कर सकें।
‘प्रॉफिट’ को प्रदान के पिछले प्रोजेक्ट ‘लीप’ के कामयाबी के बाद किया गया है शुरू:
प्रॉफिट को प्रदान के पिछले प्रोजेक्ट ‘लीप’ (लाइवलीहुड्स एन्हान्समेंट थ्रू मार्केट एक्सेस एंड विमेन एम्पावरमेंट) कामयाबी के बाद शुरू किया गया है। दो साल की अवधि वाले प्रोजेक्ट लीप के लिए वॉलमार्ट फाउंडेशन ने 1.9 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया है। इस प्रोजेक्ट से झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 45,000 छोटे किसानों की आजीविका में सुधार हुआ था। प्रोग्राम ने लघु किसानों की क्षमता निर्माण के अवसरों को पैदा करने पर ज़ोर देते हुए चार साल की अवधि में उनकी आमदनी को दोगुना करने में मदद पहुंचायी है ताकि उनके खेती कारोबारों को टिकाऊ बनाकर उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सके। इन महिला किसानों को पहले ही स्व-सहायता समूहों से जोड़ा जा चुका है और इन्हें एकजुट कर औपचारिक उत्पादन समूहों का रूप दिया गया है, ताकि वे सिंक्रोनाइज़्ड प्रोडक्शन एवं मार्केट इंटरफेस की मदद से कृषि एवं अन्य संबंधित गतिविधियों से जुड़ सकें। इन अनौपचारिक उत्पादक समूहों ने अब 13 औपचारिक कृषक उत्पादक संगठनों का रूप ले लिया है तथा इन्हें मजबूत बनाने की प्रक्रिया जारी है।
भारत में कृषक उत्पादक संगठनों को मजबूत बनाने का प्रयास: जूली
इस ग्रांट के बारे में, जूली गहरकी, वाइस प्रेसीडेंट एवं चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, वॉलमार्ट फाउंउेशन ने कहा, ‘प्रदान के प्रॉफिट और लीप सरीखे प्रोजेक्ट्स भारत में कृषक उत्पादक संगठनों को मजबूत बनाने के हमारे प्रयासों से पूरी तरह से मेल खाते हैं, जो कि इनकी मात्रा, गुणवत्ता तथा उत्पादन प्रक्रियाओं की सस्टेनेबिलिटी सुनिश्चित कर बाजारों से उनके जुड़ाव को और गहरा बनाते हैं। प्रदान के लिए नए निवेश से और अधिक संख्या में ग्रामीण औरतों तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी, जबकि उपज बढ़ाने के सस्टेनेबबल तरीकों पर ज़ोर देकर तथा आमदनी के स्रोतों को तैयार कर अधिक प्रभाव पैदा किया जा सकेगा।’
बैंगन उगाने के लिए लीप प्रोजेक्ट के तहत् प्रोत्साहन मिला: मुनि हेपरिका
ओडिशा की कांधा जनजाति की महिला मुनि हेपरिका ने 2021 में मा गंगेदेवी प्रोड्यूसर ग्रुप (पीजी) से नाता जोड़ा जो कि महिला प्रगति फार्मर प्रोड्यूसर्स कंपनी लिमिटेड का हिस्सा है जिसे इस साल मॉनसून के दौरान बैंगन उगाने के लिए लीप प्रोजेक्ट के तहत् प्रोत्साहन मिला है।
मुनि का कहना है, ”मुझे यह अहसास हो गया था कि प्रदान की सहायता से मैं सफलता हासिल कर लूंगी। उन्होंने इससे पहले ही नर्सरी तैयार करने, फसलों की देखभाल और कीटों के हमलों से फसलों को बचाने (आईपीएम या इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट) तथा ऑर्गेनिक दवाएं तैयार करने के बारे में लीप प्रोजेक्ट के अंतर्गत कई तरह की ट्रेनिंग्स आयोजित की हैं।
महिलाओं को बिज़नेस लीडर्स और उद्यमी के तौर पर स्थापित करने में भी मददगार: अविजित चौधरी
प्रदान के इंटीग्रेटर अविजित चौधरी ने कहा, ‘लीप और प्रॉफिट परियोजनाओं के जरिए हमारे प्रोजेकट्स न सिर्फ सीमांत और ग्रामीण औरतों को ‘महिला किसानों’ के रूप में पहचान दिलाने के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि 60 से अधिक कृषक उत्पादक संगठनों के जरिए मिलने वाली सहायता के बलबूते ये उन्हें बिज़नेस लीडर्स और उद्यमी के तौर पर स्थापित करने में भी मददगार हैं।’