चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर प्रखंड अंतर्गत सेल की चिड़िया खदान के एनएसपीएल ठेका कंपनी के अधीन कार्यरत लगभग डेढ़ सौ मजदूरों जिन्हें ठेका कंपनी ने कोरोना काल के दौरान बाहर का रास्ता दिखाते हुये बेरोजगार कर दिया है, उन सारे मजदूरों को अगर ठेका कंपनी रोजगार से नहीं जोड़ती है तो चिडि़या खदान से होने वाली लौह अयस्क की ढुलाई का कार्य अनिश्चित काल के लिये सारंडा के मजदूर व ग्रामीण ठप कर देंगे। यह बातें सारंडा के चिड़िया खदान से सबसे ज्यादा प्रभावित दुबिल गांव में अखिल झारखंड श्रमिक संघ के कोल्हान प्रभारी राजू सांडिल एंव जिला अध्यक्ष मोहन लाल चौबे की अध्यक्षता में आयोजित मजदूरों की बैठक में दोनों नेताओं ने कही है । राजू सांडिल व मोहनलाल चौबे ने चिडि़या खदान के ठेका कंपनी एनएसपीएल द्वारा बिना सूचना कार्य से निकाले गये सैकड़ों मजदूरों की समस्याओं को सूनने के बाद कहा कि यह मजदूरों के पेट पर सीधे प्रहार है एंव ऐसे प्रहारों की वजह से मजदूर पागल अथवा हिंसक हो सकते हैं । लगभग पंद्रह-बीस वर्षों से कार्यरत जिन मजदूरों को काम से बिना सूचना के हटाया गया है उन मजदूरों को आज तक ठेका कंपनी ने पीएफ, बोनस, एडब्लूए आदि तमाम सुविधाओं का लाभ नहीं दिया है । अगर यह लाभ ठेका कंपनी देती तो प्रत्येक मजदूरों को लगभग तीन से चार लाख रूपये तक मिले होते । ठेका कंपनी यह पैसा उन्हें तत्काल दे तथा उन्हें रोजगार भी मुहैया कराये । उन्होंने कहा कि जो पहले सड़क मरम्ती का कार्य करते थे उन मजदूरों को काम से हटाकर खदान के माईनर को सड़क मरम्मती के कार्य पर लगाया गया है जो गलत है । उन्होंने कहा कि इस मामले में नियमतः हमारी संगठन ठेका कंपनी, चिडि़या प्रबंधन, पुलिस-प्रशासन समेत तमाम सक्षम विभागों को पहले पत्र देकर न्याय की गुहार लगायेगी । अगर न्याय नहीं मिला तो पंद्रह दिन बाद ठेका कंपनी का लौह अयस्क ढुलाई कार्य को अनिश्चित काल के लिये बंद कर दिया जायेगा । नौकरी से हटाये गये मजदूरों में दुबिल, छोटानागरा, कुम्बिया, जामकुंडिया, राकाडोबरा, पोडोंगा, कोलभोंगा, गिंडूंग, पुराना मनोहरपुर, छोटा जामकुंडिया, हेंदेदिरी आदि गांवों के मजदूर शामिल हैं । चिडि़या खादान के ठेका कंपनी से बेरोजगार किये गये मजदूरों का कहना है की वर्षों से काम रहे इन लोगों ने 50 पचास रूपये से लेकर 335 रूपये तक मजदूरी में कार्य किया लेकिन उनको आज तक पीएफ, बोनस, एडब्लूए, मेडिकल सुविधा, सुरक्षा उपकरण आदि नहीं दिया गया. सभी मजदूरों को नगद मजदूरी की रकम देकर चलता कर दिया जाता था । किसी भी मजदूर को पहचान पत्र तक नहीं दिया गया । चिरिया माइंस में काम करने वाली ठेका कम्पनी पर मजदूरों ने शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं ।