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WEST SINGHBHUM : दुधमुंहे बच्ची की कराई कुत्ते से शादी
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चिमीसाई गांव की यह घटना है. घटना 23 फरवरी की है. घटना के दिन गांव में मागे पर्व का आयोजन किया गया था. पर्व के दौरान ही गांव के लोगों ने 11 माह की बच्ची की शादी एक कु्त्ते से करवा दी. इस बीच पूरे गांव के लोग मौजूद थे. शादी समारोह में बड़ी संख्या में लोग भी पहुंचे हुए थे. कई लोग तो सूचना पाकर कई दिनों बाद भी इसकी जानकारी लेने के लिए पहुंचे हुए थे. कुल मिलाकर यह शादी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
पश्चिमी सिंहभूम : सुनने में यह बड़ा अटपटा सा लगता है कि अगर किसी बच्चे के ऊपरी जबड़े पर दांत निकलता है तब उसकी शादी कुत्ते से कराई जाती है. जी हां? इसमें बिल्कुल ही 100 फीसदी सच्चाई है. हो जनजातियों के बीच इस तरह का प्रचलन आज भी है. उन्हें लगता है कि ऐसा करने से बच्ची पर आने वाला सभी अपशगुन मिट जाता है.
मागे पर्व के दिन कराई शादी
यह समारोह झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा चिमीसाई गांव की है. इस गांव में मागे पर्व पर समारोह का आयोजन किया गया था. समारोह के दौरान ही ढोल-नगाड़े गूंजने लगते हैं. इसके बाद कुत्ते की 11 माह की बच्ची के साथ शादी कराई जाती है.
दुधमुंहे बच्ची को कुछ पता नहीं
इस शादी में दुधमुंहे बच्ची को कुछ जानकारी ही नहीं है कि उसके साथ क्या हो रहा है, लेकिन परिवार और समाज के लोग सबकुछ जान रहे हैं. कुत्ते के एक पैर के नाखुन पर सिंदूर लगाकर बच्ची की मांग को भरा जाता है. इसके बाद कुत्ते को खुला छोड़ दिया जाता है.
लोगों ने मचाया जश्न
शादी के दौरान लोगों को जश्न मनाते हुए भी देखा गया. महिलाएं नाच रही थी. ढोल-नगाड़े बच रहे थे. मांदर की थाप पर युवा थिरक रहे थे.
कुत्ते को बहनाया धोती
शादी के दौरान कुत्ते को धोती पहनाया गया था. इसी तरह से बच्ची को पीले रंग की साड़ी पहनाया गया था. इसके बाद दोनों को गोद में लेकर विधि-विधान के साथ पूजा कराई गई.
शादी के पहले दी गई चूजे की बली
इस शादी के पहले एक चूजे की बली दी गई. इसके बाद शादी का रश्म शुरू किया गया. शादी पर बाराती भी आए हुए थे. इस तरह की परंपरा हो जनजातियों की है. वे आज भी इसे जीवित रखे हुए हैं. यह शादी 23 फरवरी की है. हालाकि जो लोग भी इस तरह की शादी की बात सुन रहे हैं तो उन्हें हैरानी हो रही है. उन्हें लग रहा है कि क्या वे आज भी इस तरह के अंधविश्वास के मकड़जाल में जकड़े हुए हैं? वैज्ञानिक आज चांद और तारे तक पहुंच गए हैं, लेकिन पश्चिमी सिंहभूम कहां है?