रांची।
NEWS-11 के मालिक अरुप चटर्जी के गिरफ्तार के बाद जहां उनके समर्थन में कई जगहो नें इसके विरोध में कुछ पत्रकारों ने अंदोलन शुरु कर दिया हैं। वही दुसरी ओर वरिष्ठ पत्रकार गुजन सिन्हा ने अपने सोशल साईट पर इस प्रकरण सवाल खड़ा करते हुए अपनी बातों को रखा है। जिसे कई पत्रकार अपने सोशल साइट पर शेयर कर रहे है।
सोशल साईट पर उन्होंने लिखा हैं
सुना कुछ पत्रकार ब्लैकमेल के आरोप में अरूप चटर्जी की गिरफ्तारी के विरोध में सड़क पर उतरेंगे. मैं भी उनके साथ नारा लगाने आ जाऊँगा बशर्ते वे बताएं कि वह कौन सा जादू था जिसमे एक मामूली स्ट्रिंगर दो तीन साल मे चैनल मालिक बन गया. बताएं कि जब मैं कैंसर से जूझ रहा था और जब अरूप के दिए दस फर्जी चेक बाउंस होते रहे, जब मेरे केस में दो दो बार उस पर वारंट और दो बार कुर्की जब्ती के अदालत के आदेश पुलिस साल दर साल तामील नहीं कर रहीं थी, जब दर्जनों पत्रकारों के पैसे हड़प कर वह निकाल दे रहा था तब ये पत्रकार किस बिल में घुसे हुए थे? कब किसके लिए आंदोलन करने उतरे थे. जब हरमू रोड पर गरीब आदिवासी औरत की गैंग रेप के बाद हत्या की खबर दबाने की उसकी
कोशिश का विरोध करने पर उसने चार महीने मेरा वेतन नहीं दिया और मुझे नौकरी छोड़ने को विवश किया तब यह यूनियन कहाँ मर गई थी? कृपया ये भी बताएं कि उस के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी के कितने केस हैं? कितने मामलों मे वारंट है और हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ रांची पुलिस से क्या जानकारी माँगी है. उसके चैनल के लाइसेंस के बारे मे दीपक प्रकाश के सिफारिश पर सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने क्या लिखा है ये भी उसके दलाल बताते चलें.
अरूप के पक्ष में वही होंगे जिनका अपना जमीर भी स्वर्गवासी हो गया है.
बेबाक से लोग रख रहे राय
वही गुजंन सिन्हा के पोस्ट के बाद कई पत्रकारों ने उनके समर्थन में अपनी बातों को रखा है। बिहार के वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु कुमार ने लिखा है कि आपने बहुत बेबाक़ और दर्द भरी दास्तां सुनाई गुंजन जी। ऐसे ज़ालिम और जालिया के लिए गर जो कथित पत्रकार सड़क पर उतरे, उनके खिलाफ भी जांच होनी चाहिए। ऐसा होता है तो हाईकोर्ट ऐसे प्रायोजित प्रोटेस्ट का भी संज्ञान ले।
वही अशोक वर्मा नामाक व्यक्ति ने लिखा है कि मैं अरुप चटर्जी को इसके बचपन से जानता हूं। इसे ही क्यों, इसके फ्राडिए परिवार की पूरी कुंडली जानता हूं। कहने लगूंगा तो सुन नहीं पाएंगे क्यों कि बेहद घिनौना इतिहास है। इसके समर्थन में इसकी ठगी का पैसा चाटने वाले कुछ इसी जैसे फ्राड पत्रकार हाय हुल्ला कर सकते हैं। रांची के वास्तविक पत्रकारों की बड़ी बिरादरी ने राहत की सांस ली है और बेहद खुश है। इसका प्रमाण है रांची और धनबाद के सभी प्रमुख अखबारों ने यह खबर पूरे विस्तार से चटखारे लेकर छापी है। न्यूज़ चैनलों ने भी खबर दिखाई है।