जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर और घाघीडीह जेल में हत्या की घटनाएं घटित हो चुकी है. अब सवाल यह उठता है कि इन घटनाओं के लिए आखिर जिम्मेवार कौन है. आखिर किसके सह पर हथियार जेल के भीतर पहुंच गया और जेल प्रशासन और जिला प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी. जेल की पूरी जिम्मेवारी जिले के डीसी पर ही रहती है.
जमशेदपुर के घाघीडीह केंद्रीय कारा में दो हत्या और धनबाद जेल में हुई अमन सिंह की हत्या के बाद अब लोगों के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर किसपर कार्रवाई होगी. इसके लिए कौन दोषी है.
गैंगस्टर अमन को मारी गई थी छह गोलियां
धनबाद जेल की बात करें तो गैंगस्टर अमन सिंह को 3 नवंबर को छह गोलियां मारी गई थी. गैंग्स ऑफ वासेपुर के साथ अमन का पहले से ही विवाद चल रहा था. इसी विवाद का नतिजा है कि अमन को योजना बद्ध तरीके से रास्ते से हटा दिया गया.
अपराधियों के लिए सेफ जोन बना जेल
धनबाद और जमशेदपुर के जेल में हत्या की घटनाओं के बाद अब लोग यह कहने लगे हैं कि अपराधियों के लिए जेल सबसे सेफ जोन है. यहां पर वे अपनी दुश्मनी आसानी से निकाल पाने में सफल भी हो रहे हैं.
घाघीडीह जेल में कब हुई हत्याएं
घाघीडीह जेल की बात करें तो परमजीत सिंह की हत्या जेल के भीतर ही गोली मारकर 20 मार्च 2009 को कर दी गई थी. आरोप अखिलेश सिंह गिरोह पर लगा था. इसके बाद 25 जून 2019 को टेल्को मनीफीट के मनोज सिंह की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
फांसी की सजा के बाद भी सभी आरोपी हो गए बरी
मनोज सिंह की हत्या के बाद कुल 15 आरोपियों को फांसी की सजा जमशेदपुर कोर्ट से सुनाई गई थी. इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी. वहां से मात्र 4 माह में ही सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया. कोर्ट का तर्क था कि सीसीटीवी फुटेज कोई आधार नहीं बनता है.