JHARKHAND POLITICS : झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद अब झामुमो का ब्लू प्रिंट ही धुंधला हो गया है. झारखंड की राजनीति भी करवट ले चुकी है. ऐसे में झामुमो की राजनीति और कितनी करवट लेगी आनेवाले समय में ही पता चल सकेगा. जबतक हेमंत सोरेन झारखंड के मुखिया थे तबतक तो यह बात ही तय थी कि झारखंड में गठबंधन की ड्राइविंग सीट पर झामुमो ही बैठेगा, लेकिन अब इसपर सवाल उठने लगे हैं.
अगर संख्या बल और जनाधार की बात करें तो गठबंधन में झामुमो सबसे मजबूत है. अगर पूर्वी सिंहभूम जिले की बात करें तो झामुमो के चार विधायक हैं.
झामुमो का नारा जहां जो मजबूत करे नेतृत्व
झामुमो की ओर से कई माह से यह नारा दिया जा रहा है कि जो जहां पर मजबूत है वह वहां का नेतृत्व करे. ऐसी घड़ी में झामुमो के सभी वरीय नेताओं को फूंक-फूंक कर कदम रखने की जरूरत है.
सीएम चंपाई सोरेन के लिए परीक्षा की घड़ी
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद अब झारखंड के नए सीएम चंपाई सोरेन के लिए तो परीक्षा की घड़ी आन पड़ी है. वे कैसे पार्टी को मजबूत करेंगे? कैसे चोटी के नेताओं को एकसूत्र में बांधकर रखेंगे? कैसे अपनी साख बचाकर रखेंगे? यह राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है.
झामुमो में भी कम नहीं नाराज विधायकों की संख्या
झामुमो की बात करें तो इसमें भी कांग्रेस पार्टी की तरह नाराज विधायकों की संख्या कम नहीं है. वैद्यनाथ राम को अंत समय में मंत्री नहीं बनाए जाने पर मोर्चा खोल दिया था. इसी तरह से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन को मंत्री नहीं बनाएं जाने पर भी नाराज थी. हालाकि उन्होंने खुलकर मोर्चा नहीं खोला था.