जमशेदपुर : घाघीडीह जेल का जब निर्माण किया गया था तब से ही इसके भीतर जैमर लगाया गया है. बावजूद यह जैमर काम नहीं करता है. आखिर क्या कारण है कि जेल के भीतर का जैमर खिलौना बना हुआ है. अगर जैमर अपने अस्तित्व में होता तब जेल के भीतर कैदी या बंदी मोबाइल रखने का जोखिम नहीं उठाते.
घाघीडीह जेल में जिला प्रशासन की ओर से बार-बार छापेमारी की जाती है बावजूद जेल के भीतर से मोबाइल व अन्य सामान आसानी से बरामद होता है. घाघीडीह जेल के भीतर दो हत्या की घटना भी घटित हो चुकी है, बावजूद भीतर की व्यवस्था पूरी तरह से दुरूस्त कर पाने में जिला प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं.
भीतर से होती है प्रतिबंधित सामान की बरामदगी
घाघीडीह जेल में जब कभी भी छापेमारी की जाती है तब वार्डों से प्रतिबंधित सामान की बरामदगी होती है. ऐसे में सामान को जब्त भी किया जाता है और इसके खिलाफ मामला भी दर्ज किया जाता है. बावजूद इस तरह का प्रतिबंधित सामान आसानी से जेल के भीतर पहुंच जाता है. यह लोगों के बीच चर्चा का विषय बना होता है.
परमजीत सिंह और मनोज सिंह की हो चुकी है हत्या
घाघीडीह जेल के भीतर परमजीत सिंह और मनोज सिंह की हत्या हो चुकी है. परमजीत सिंह की हत्या जेल के भीतर गोली मारकर की गई थी जबकि मनोज सिंह की हत्या पीट-पीटकर कर दी गयी थी. मनोज सिंह की हत्या में 15 आरोपियों को सिविल कोर्ट से फांसी की सजा हुई थी, लेकिन हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती देने के बाद सभी आरोपियों को मात्र 4 माह में ही बरी कर दिया गया.