Jamshedpur : क्या भाजपा को अलविदा कह झामुमो का दामन थाम सकते हैं पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी? इसे लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है. वैसे, यह चर्चा तो तब ही शुरू हो गई थी जब भारतीय जनता पार्टी ने जमशेदपुर लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद विद्युत वरण महतो को एक बार फिर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. उस दौरान ही कहीं न कहीं भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपना नाम नहीं देखते हुये कुणाल षाडंगी आहत से लगें. वे इससे किस कदर आहत हुये, वह भले ही यह सरेआम नहीं दिखा, लेकिन किसी न किसी मंच पर उन्होंने इशारों ही इशारों में जमशेदपुर से प्रत्याशी नहीं घोषित किये जाने पर अपना दर्द जरूर बयां किया. उस दिन से ही यह कयास लगने का दौर शुरु गया कि कुणाल षाडंगी भाजपा छोड़ कभी भी झामुमो का दामन थाम सकते हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह भी रही है, वह वजह है पूर्व में झामुमो की टिकट पर कुणाल षाडंगी का बहरागोड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना. उस चुनाव में उन्होंने जीत भी हासिल की थी और बहरागोड़ा से झामुमो के विधायक बने थे. हालांकि, बदलते वक्त के साथ फिर सारा कुछ बदला और कुणाल षाडंगी ने झामुमो छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया. यहां तक कि भाजपा के वे प्रवक्ता भी बने और पार्टी के बैनर तले उन्होंने खूब काम भी किया. इस दौरान सिर्फ बहरागोड़ा ही नहीं, बल्कि पूरे जिले को उन्होंने अपना कार्य क्षेत्र बनाने की कोशिश की. जमशेदपुर इसका मुख्य केन्द्र बिंदु रहा. इसे लेकर चर्चा शुरू हुई थी कि शायद कुणाल षाडंगी को भाजपा इस लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट से अपना उम्मीदवार घोषित करे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उसके बाद से लगातार उनके झामुमो में जाने की चर्चाएं तेज होती गई.
सीएम चंपाई सोरेन से कर चुके हैं मुलाकात
इस बीच सूत्रों की मानें तो कुणाल षाडंगी ने झामुमो में जाने की कवायद जोरशोर से शुरु कर दी है. इस क्रम में उनकी मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से मुलाकात भी हो चुकी है. उनसे एक राउंड की वार्ता के बाद यह भी कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी की पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन से भी मुलाकात होनेवाली है. अब सारी निगाहें इस पर टिकी है कि जब उन्हें झामुमो हरी पार्टी में शामिल होने की हरी झंडी देती है. (नीचे भी पढ़ें)
यह है ताजा राजनीतिक हालात
वैसे भी, लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ राज्य की राजनीतिक हालात तेजी से बदलने लगे हैं. एक राजनीतिक दल से छोड़कर दूसरे दल का दामन थामने का सिलसिला पहले ही शुरू हो चुका है. एक ओर सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम चुकी है, वहीं सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. दूसरी ओर, मांडू से भाजपा विधायक जेपी पटेल ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लिया है. इससे समझा जा सकता है कि राज्य के राजनीतिक हालात फिलहाल किस तरह से बदल रहे हैं. ऐसे में यदि पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी दोबारा झामुमो का दामन थाम लें तो यह ज्यादा अचरज वाली बात नहीं होनी चाहिए.