JHARKHAND POLITICS :झारखंड में अचानक से सियासी उथल-पुथल शुरू होने पर पूरे देश की नजरें झारखंड पर ही टिकी हुई है. आखिर क्या होगा. हेमंत सोरेन के बाहर आते ही इस तरह की समस्या उत्पन्न हुई है. इसका खामियाजा कहीं झामुमो पर तो नहीं पड़ेगा. चंपाई सोरेन झारखंड का नेतृत्व ठीक-ठाक से कर रहे थे. चंपाई सोरेन ने अपने पद से भी इस्तीफा दे दिया है. अब चर्चा में है कि हेमंत सोरेन खुद सीएम बनेंगे. इस बीच अगर जेल भी गए तो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तरह ही जेल से ही सरकार चलाएंगे.
सीएम की कुर्सी संभालते ही चंपाई सोरेन ने पहली बार कहा था कि हेमंत बाबू के कार्यों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. लगभग सभी सभाओं में उन्होंने हेमंत सोरेन का नाम लिया था. अब इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा कि अब हेमंत बाबू जेल से बाहर आ गए हैं. एक सवाल के जवाब में चंपाई ने कहा कि गठबंधन ने जो निर्णय लिया है उसी के साथ मैं चल रहा हूं.
पांच माह बाद चंपाई को हटाना बना चर्चा का विषय
अभी विधानसभा चुनाव के मात्र चार माह ही बचे हुए हैं. ऐसे में चंपाई सोरेन को कुर्सी से हटवा देना पूरे झारखंड में ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. चर्चा है कि इसका खामियाजा पार्टी को विस चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.
चंपाई सोरेन ने कभी कुछ मांगा नहीं
झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के सरायकेला विधानसभा से पांच बार विधायक बनने वाले चंपाई सोरेन का आवास जिलिंगगोड़ा गांव में है. चंपाई सोरेन ने पार्टी आलाकमान से कभी कुछ मांगा ही नहीं है. कभी भी उन्होंने मंत्री पद की इच्छा जाहिर नहीं की. पार्टी की ओर से जो मिला उसका निर्वहन ईमानदारी पूर्वक किया है. अब उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिलवाया गया है बावजूद उन्होंने कुछ नहीं कहा.
भीतर खाने में कहीं बगावत के सुर तो नहीं पनप रहे
झामुमो के पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी ने जब झामुमो छोड़ दिया था तब उन्होंने झामुमो डी पार्टी बनाई थी. तब झामुमो पर इसका खासा प्रभाव पड़ा था. तब कृष्णा मजबूत और झारखंड के कद्दावर नेताओं में से एक हुआ करते थे. उनकी पार्टी चल पड़ी थी. इस बार भी कहीं भीतर खाने में बगावत के सुर तो नहीं पनप रहे हैं. इसकी चर्चा झारखंड के चौक-चौराहें पर हो रही है.