Adityapur : रक्तदान को महादान कहा जाता है. गंभीर स्थितियों जैसे दुर्घटना, सर्जरी की स्थिति में रोगी की जान बचाने के लिए रक्तदान की आवश्यकता होती है. एक रिपोर्ट से पता चलता है कि दुर्भाग्यवश भारत में हर दिन लगभग 12,000 मरीज समय पर रक्त नहीं मिल पाने के कारण मर जाते हैं, लेकिन आज हमारे बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो रक्त की कमी को दूर करने के उद्देश्य से अपने जीवन को रक्तदान के प्रति समर्पित कर दिया है. विश्व रक्तदान दिवस 14 जून के अवसर पर जानते हैं एक ऐसे शख्स को, जिनका पूरा परिवार रक्तदान की मुहिम के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं. (नीचे भी पढ़ें)
रक्तदान के प्रति जीवन समर्पित करने वाले ये शख्स हैं जमशेदपुर के 55 वर्षीय अरुण पाठक, जिन्होंने अब तक 139 बार रक्त देकर पूरे जमशेदपुर शहर में एक अलग कीर्तिमान स्थापित किया है. आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में वर्षों से एक सफल उद्यमी के रूप में पहचान बन चुके अरुण पाठक न सिर्फ स्वयं रक्तदान करते हैं बल्कि लोगों को भी रक्तदान के प्रति जागरुक करते हैं. कई सामाजिक मंचों पर रक्तदान को लेकर सम्मानित हो चुके श्री पाठक का पूरा परिवार भी इनके रक्तदान मुहिम को आगे बढ़ाने में इनके कंधे से कंधा मिलाकर चलता है. बड़ी बेटी रागनी पाठक, जो पैसे से डॉक्टर है वह भी समय-समय पर रक्तदान करती है, छोटा बेटा अनुराग पाठक, जो मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी कर फैक्ट्री में पिता का सहयोग करता है. वह भी प्रत्येक 3 महीने पर नियमित रूप से ब्लड बैंक में जाकर ब्लड डोनेशन करते हैं. कॉलेज के दिनों में महज शौकिया तौर पर एक बार श्री पाठक ने रक्तदान किया था, तब इन्हें क्या पता था कि इनका पूरा जीवन ही रक्तदान के प्रति समर्पित हो जाएगा. जमशेदपुर शहर में रक्तदाता शतकवीर के रूप में अलग पहचान बन चुके अरुण पाठक लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करने के साथ उन्हें जानकारियां भी देते हैं. (नीचे भी पढ़ें)