जमशेदपुर : शहर के गोविंदपुर इलाके के एक तालाब का अतिक्रमण पिछले कई सालों से जोर-शोर से चल रहा है. तालाब का अतिक्रमण रोकने के लिए जिला परिषद सदस्य परितोष सिंह की ओर से अंचल अधिकारी और जिला मत्स्य पदाधिकारी को कई बार ज्ञापन भी सौंपा है. बावजूद इस दिशा में किसी तरह की पहल नहीं की जा रही है. अब तो गोविंदपुर के लोग सरकारी अधिकारियों पर ही मिली-भगत का आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि कहीं उनकी शह पर तो तालाब का अतिक्रमण नहीं हो रहा है.
गोविंदपुर जनता मार्केट रोड के ठीक किनारे ही मत्य विभाग का तालाब है. यहां पर 22 दिसंबर 2020 को अंचल के कर्मचारियों ने सरकारी बोर्ड भी लगाया गया था. बोर्ड पर लिखा हुआ था कि यह जमीन सरकारी है. मत्स्य विभाग के अधीन है. बावजूद अतिक्रमणकारी दबंगो ने सरकारी बोर्ड तक को हटा दिया है. अब बोर्ड का यहां पर नामोनिशान तक नहीं है. बावजूद अंचल के अधिकारियों का चुप्पी साधे हुए रहना लोगों के समझ के परे है.
राम मंदिर के सामने है तालाब
छोटा गोविंदपुर के तालाब की बात करें तो वह ठीक राम मंदिर के सामने ही है. इसका खेसरा नंबर 151 और 152 है. जिला परिषद सदस्य ने लिखा है कि 3.66 एकड़ की तालाब को कब्जाने का काम किया गया है.
चल रहा है अवैध निर्माण
सरकारी तालाब पर पिछले कई माह से अवैध निर्माण का कार्य भी चल रहा है. इसकी जानकारी समय-समय पर अंचल अधिकारी से लेकर मत्स्य विभाग के अधिकारियों को भी लिखित दी जाती है. बावजूद किसी की ओर से किसी तरह की पहल नहीं की जा रही है.
मत्स्य विभाग करती है बंदोबस्ती
तालाब पूरी तरह से मत्स्य विभाग की देख-रेख में रहता है. इसकी बंदोबस्ती भी जिला मत्स्य विभाग की ओर से की जाती है. तालाब में मछली पालन का भी काम कराया जाता है. इसके लिए तालाब को विकास कुमार सिंह के नाम पर बंदोबस्ती की गई है.
कब-कब की गई थी सीओ से लिखित शिकायत
इधर जिला परिषद सदस्य परितोष सिंह का कहना है कि सबसे पहले उन्होंने 9 अक्टूबर 2019 में तालाब का अतिक्रमण होने की शिकायत जमशेदपुर अंचल के सीओ से की गई थी. इसके बाद 22 दिसंबर 2020 को शिकायत की गई थी. पहल नहीं होने पर 2 जनवरी 2021 को भी शिकायत की गई. इसके बाद 30 अक्टूबर 2021 को. 22 फरवरी 2022 को और 3 अगस्त 2023 को भी लिखित शिकायत की गई थी.
न मापी हुई और न हटा कब्जा
आवेदन के माध्यम से तालाब की मापी कराने और अवैध कब्जा हटाने की मांग की गई थी. बावजूद इस दिशा में किसी तरह की पहल अभी तक नहीं की गई है. इस तालाब को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है. लोगों का कहना है कि बावजूद सरकारी अधिकारी सबकुछ जानकर भी मुंह फेरे हुए हैं.