जमशेदपुर :जी हां घाटशिला का रेलवे स्टेशन टाटानगर रेलवे स्टेशन से भी बेहतर है. अगर सामने की लूक की बात करें तो घाटशिला स्टेशन में चार चांद लगा है जबकि टाटानगर रेलवे स्टेशन में ऐसी कोई बात नहीं है. घाटशिला स्टेशन की भवन बेहतरीन है. सबसे खास बात यह है कि इस स्टेशन पर एक्सप्रेस व अन्य यात्री ट्रेनों का भी ठहराव शुरू कराया गया है. इस कारण से घाटशिला के रेल यात्रियों को ट्रेन पकड़ने के लिए किसी दूसरे स्टेशन पर जाना नहीं पड़ रहा है.
घाटशिला स्टेशन की बात करें तो इसके प्लेटफार्मों की संख्या 7 कर दी गई है. इसका काम भी पूरा कर लिया गया है. सभी प्लेटफार्मों पर ट्रेनों का भी आवागमन हो रहा है. वहीं टाटानगर स्टेशन की बात करें तो प्लेटफार्म की संख्या मात्र 5 है. अगर सभी प्लेटफार्मों पर ट्रेन खड़ी है तो पीछे वाली ट्रेन को घंटों स्टेशन के आउटर के पास रोक दिया जाता है. इस तरह की समस्या घाटशिला स्टेशन की नहीं है.
एक दशक पहले हुआ करता था छोटा स्टेशन
घाटशिला स्टेशन एक दशक पहले तक छोटा स्टेशन हुआ करता था, लेकिन अब इसका लूक समय के साथ पूरी तरह से बदल गया है. जबकि टाटानगर स्टेशन का लूक बदलने में अभी कम-से-कम एक दशक और लगेंगे.
आबादी के साथ यात्री सुविधाओं में भी बढ़ोतरी
घाटशिला की आबादी पहले की अपेक्षा काफी बढ़ गई है. ऐसे में रेलवे की ओर से यात्री सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की गई है. घाटशिला स्टेशन को इस रूप में लाने के लिए जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो का भी कम योगदान नहीं रहा है. साथ ही स्थानीय विधायकों ने भी पहल की है.
स्टेशन को पहचान पाना मुश्किल
जो यात्री एक दशक पहले तक घाटशिला गए हुए हैं उन्हें तो स्टेशन को पहचान पाने में भी परेशानी होगी. जिस तरह का भवन बनाया गया है उससे यात्रियों को सहसा विश्वास नहीं होता है. रेलवे पार्किंग से लेकर यात्री सुविधाओं में भी बारी-बारी से बढ़ोतरी की जा रही है.